ऐ सुनो
रोना नहीं
जानता हूँ
तुम्हारी पीड़ा
बादल बनकर घुमड़ आई है
लेकिन इसे बरसने मत देना
जब तक एकांत न मिले
ऐ सुनो
थोडा सा मुस्कुरा दो
जानता हूँ
तुम्हारी मुस्कराहट बहुत पहले ही खो गई है
असली न सही
नकली भी चलेगी
चलेगी नहीं बल्कि चलती है
कृत्रिम संसार मे
कृत्रिम मुस्कुराहटें ही मिलती है
लेकिन जरुरी है
ऐ सुनो
मै बकवास नहीं कर रहा हूँ
बल्कि एक सच्चाई से
पर्दाफाश कर रहा हूँ
तुम नहीं हंसोगे
तो लोग तुम पर हँसेंगे
ऐ सुनो
तुम्हे ये हुनर सीखना होगा
क्योंकि संसार एक रंगमंच है
जो जितना अच्छा अभिनय करेगा
उतनी ही तालियाँ बटोरेगा
--------------------Rajesh Sharma