Tuesday, 27 November 2012

ऐ सुनो


ऐ  सुनो 
रोना नहीं 
जानता हूँ 
तुम्हारी पीड़ा 
बादल बनकर घुमड़ आई है 
लेकिन इसे बरसने मत देना 
जब तक एकांत न मिले

ऐ सुनो 
थोडा सा मुस्कुरा दो 
जानता हूँ 
तुम्हारी मुस्कराहट बहुत पहले ही खो गई है 
असली न सही 
नकली भी चलेगी 
चलेगी नहीं बल्कि चलती है 
कृत्रिम  संसार मे  
कृत्रिम  मुस्कुराहटें ही मिलती है 
लेकिन जरुरी है

ऐ सुनो 
मै बकवास नहीं कर रहा हूँ 
बल्कि एक सच्चाई से 
पर्दाफाश कर रहा हूँ 
तुम नहीं हंसोगे 
तो लोग तुम पर हँसेंगे

ऐ सुनो 
तुम्हे ये हुनर सीखना होगा 
क्योंकि संसार एक रंगमंच है 
जो जितना अच्छा अभिनय करेगा 
उतनी ही तालियाँ  बटोरेगा  
--------------------Rajesh Sharma

Monday, 26 November 2012


 इस दुनिया से कुछ देर जुदा हो जाइये 
  मेरे   लफ़्ज़ों   में   जरा   खो  जाइये 

मै  निकला हूँ  तलाश- ए -जिंदगी  मे 
इस सफ़र मे आप भी शामिल हो जाइये 

अपने लेखन को आप तक पहुंचाते हुए बहुत पहले लिखी उपरोक्त पंक्तियां फिर जहन  मे  उतर आई लेखक या कवि  होना अपने आप मे  एक बड़ी बात है  ऐसा दावा फिलहाल मै नहीं कर सकता क्योंकि इस दिशा मे अभी बहुत कुछ सीखने की जरुरत महसूस करता हूँ   हाँ रोजमर्रा की जिंदगी जो प्रश्न मेरे सामने खड़े करती रही, उनके जवाब तलाशने की कोशिश मे जो कुछ लिखा उसे ब्लॉग के माध्यम से आपके सामने रखूँगा  वासु रितु जी का विशेष आभारी हूँ जिन्होंने मुझे ब्लॉग लिखने के लिए प्रेरित किया  आशा करता हूँ कि आपके मार्गदर्शन से लेखन मे और सुधार कर सकूँगा  अपने अब तक के कार्य और जीवन के लिए ईश्वर का और उन लोगो का जिन्हें ईश्वर  ने मेरे जीवन को सरल बनाने के लिए और कुछ सार्थक व रचनात्मक  करने के लिए समय- समय पर प्रेरित करने के लिए माध्यम बनाकर मेरे जीवन मे भेजा, मै  सदा आभारी रहूँगा कृपया अपनी मूल्यवान राय देते रहें 

आपका 
राजेश शर्मा