ऐ सुनो
रोना नहीं
जानता हूँ
तुम्हारी पीड़ा
बादल बनकर घुमड़ आई है
लेकिन इसे बरसने मत देना
जब तक एकांत न मिले
ऐ सुनो
थोडा सा मुस्कुरा दो
जानता हूँ
तुम्हारी मुस्कराहट बहुत पहले ही खो गई है
असली न सही
नकली भी चलेगी
चलेगी नहीं बल्कि चलती है
कृत्रिम संसार मे
कृत्रिम मुस्कुराहटें ही मिलती है
लेकिन जरुरी है
ऐ सुनो
मै बकवास नहीं कर रहा हूँ
बल्कि एक सच्चाई से
पर्दाफाश कर रहा हूँ
तुम नहीं हंसोगे
तो लोग तुम पर हँसेंगे
ऐ सुनो
तुम्हे ये हुनर सीखना होगा
क्योंकि संसार एक रंगमंच है
जो जितना अच्छा अभिनय करेगा
उतनी ही तालियाँ बटोरेगा
--------------------Rajesh Sharma
Ro nahin rahaa hans rahaa hun is baat par ke itane mahaan kavi ne mujhe kavitaa padane laayak samajhaa!
ReplyDeleteBahut khoob.
ReplyDeleteसरल भाषा में गहरी बात। बहुत ही बढ़िया :)
ReplyDelete:) badhiya.
ReplyDeleteसबसे पहले ब्लॉग के लिए शुभकामनायें | सच्ची बात और सरल भाषावली का प्रयोग बहुत ही प्रभावी | बहुत ही सार्थक कविता | आभार |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
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Shukriya Dr. KC, Shukriya Neelkanth, Shukriya Vishwash Bhai, Shukriya Nihal Bhai and Shukriya Johny Samajhdar Ji. abhi bloging mai naya naya hun. Technical problems aa rahi hai. par dheere dheere sikh jaunga :) apna raay dete rahe :)
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