दिल पर दुश्मन के पहरे रखे है
आँखों मे सब बेवफा चहरे रखें हैं
तू मुझमे होकर भी मुझमे नहीं है
ख़याल दुनिया के बड़े गहरे रखे हैं
अब तो तेरे फज़ल से ही विसाल मुमकिन है
हमने तो आज़मा हुनर सारे रखें हैं
इन्हें थोड़ी थोड़ी हवा देते रहना
सुलगा इश्क के जो अंगारे रखे है
sirji yeh bahut hi bahut acchi hai.. ek se ek umda sher
ReplyDeleteShukriya Amit Bhai.
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