Monday, 6 March 2017

साथ


स्वांसो का अटके रहना

गले और फेेफडों के कहीं बीच में

जिए जाना

जीवन और मृत्यु की अनुपस्थिति में

समुन्द्र से मिलने से पहले

खरा हो जाना

नदी का

फूलों का

बिना खुशबू के खिलना

तुम्हारा

मेरे साथ होना

न होने जैसा

-----------राजेश शर्मा 

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